नाग पंचमी आज, जानें महत्व, कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में नाग पंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। नाग देवताओं को समर्पित यह पर्व देश के कुछ राज्यों में सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 25 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। वहीं कुछ राज्यों में सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। सावन मास भगवान शिव का प्रिय मास है और इस मास में शिव के गण नाग देवता की पूजा करने का भी विधान हैं। नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं नाग पंचमी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

नाग पंचमी पर बेहद शुभ योग

सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 25 जुलाई 2024 को है। इस नाग पंचमी की पूजा बिहार, बंगाल उड़ीसा, राजस्थान आदि इन क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस दिन शुक्रादित्य योग, शोभन योग का शुभ संयोग भी रहेगा। वहीं शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त को देश के अन्य राज्यों में मनाया जाएगा।

पंचमी तिथि की शुरुआत – 25 जुलाई, सुबह 4 बजकर 40

पंचमी तिथि का समापन – 25 जुलाई, मध्य रात्रि 1 बजकर 59 तक

नाग पंचमी का महत्व

सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है और इस माह में सांप भू गर्भ से निकलकर भू तल पर आ जाते हैं। नाग निकलकर किसी को भी आहत ना कर दें, इसलिए नाग पचंमी का पूजा अर्चना की जाती है। बिहार, बंगाल आदि क्षेत्रों में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है कि पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं और इन दिनों सांपों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु व केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है और कालसर्प दोष की पूजा भी करवाई जाती है। पंचमी के दिन इनकी पूजा करने से सभी तरह की रुकावट दूर रहती हैं और मनुष्य को सांपों के भय से मुक्ति भी मिलती है। पुराणों में बताया गया है कि नाग देवता पाताल के स्वामी हैं इसलिए नाग पंचमी या किसी भी अन्य पंचमी के दिन व्यक्ति को भूमि की खुदाई करने से बचना चाहिए।

नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर शिवालय में पूजा अर्चना करें और फिर व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद घर के मेन गेट, घर के मंदिर और रसोई के बाहर के दरवाजे के दोनों तरफ खड़िया से पुताई करें और कोयले से नाग देवताओं के चिन्ह बनाएं।

आजकल नाग देवताओं की फोटो बाजारों में भी मिल जाती है, आप उनका भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद पूजा अर्चना करें और दूध अर्पित करें।

घर के नाग देवताओं की पूजा करने के बाद खेतों या फिर ऐसे स्थान पर दूध का कटोरा रख दें, जहां सांपों के आने की संभावना हो।

नाग देवता की पूजा पूजा में सेवई और चावल बनाएंगे। फिर ना देवताओं की दूध और जल से स्नान करवाएं और धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें।

इसके बाद सच्चे मन से नाग देवताओं का ध्यान करें और फिर आरती करें। आरती करने के बाद नाग पंचमी की कथा का पाठ भी करें।

नाग पंचमी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

 

ॐ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय

नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय

तस्मै मकाराय नमः शिवाय

शिवाय गौरीवदनाब्जवृंदा

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय

तस्मै शिकाराय नमः शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता

शेखराय

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय

तस्मै वकाराय नमः शिवाय

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय

पिनाकहस्ताय सनातनाय

दिव्याय देवाय दिगम्बराय

तस्मै यकाराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते

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