भस्म आरती का क्या महत्व है?

भस्म आरती का क्या महत्व है?

भस्म आरती, भगवान शिव की पूजा में एक विशेष रूप से की जाने वाली प्रथा है जो हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह पूजा भक्तों के द्वारा अनुस्ष्ठित की जाती है और इसमें भस्म का विशेष महत्व होता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि भस्म आरती क्यों होती है और इसका महत्व क्या है।

भस्म आरती क्या है?

भस्म आरती एक धार्मिक आचार्य पूजा प्रणाली है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस पूजा के दौरान, भक्त शिवलिंग पर रौंदी गई भस्म (अर्थात विभूति) को प्रयुक्त करते हैं और उसे आरती के द्वारा पूजते हैं। भस्म का प्रयोग पूजा में भगवान की शक्ति और पवित्रता की स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है।

भस्म आरती का महत्व:

  1. शिवलिंग की पूजा: भस्म आरती का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की पूजा है। शिवलिंग पर भस्म का चढ़ावा करने से भक्त भगवान की आराधना में समर्थ होते हैं और उनके चरणों में अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं।
  2. आरती के माध्यम से पूजा: भस्म आरती के दौरान भक्त शिवलिंग को आरती करते हैं और इसमें जल, दूध, धूप, दीप, और फलों का अर्पण करते हैं। यह पूजा भगवान की प्रीति और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक माध्यम है।
  3. भस्म का प्रतीक:
    • मृत्यु के साथ अनुसंधान: भस्म का प्रयोग मृत्यु और जीवन के चक्र को प्रतिष्ठित करने के लिए होता है। इससे भक्तों को जीवन की अनित्यता और मृत्यु के साथ अनुसंधान का आदान-प्रदान होता है।
    • पवित्रता और आत्मा की शुद्धि: भस्म का प्रयोग शरीर के अंगों पर लगाया जाता है, जिससे भक्त को आत्मा की शुद्धि और पवित्रता की अनुभूति होती है।
  4. तांत्रिक महत्व: भस्म आरती तांत्रिक पूजा का हिस्सा भी है, जिसमें भस्म का प्रयोग शक्ति को जागरूक करने के लिए किया जाता है। यह तंत्र मार्ग से साधकों को अद्वितीयता की प्राप्ति में सहायक होता है।
  5. कार्योत्साही बनाए रखना: भस्म आरती के माध्यम से भक्तों को अपने कार्यों में उत्साही बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है। शिवलिंग पर भस्म का चढ़ावा करने से उन्हें अपने कार्यों को निष्कलंकित करने का संकेत मिलता है।
  6. शक्तिपीठ स्थलों में महत्वपूर्ण: कुछ शक्तिपीठ स्थलों में भस्म आरती विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि काशी विश्वनाथ और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। यहां इस पूजा को अपने परंपरागत रूप में आचार्यों द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित किया जाता है और इसमें विशेष माहत्म्य होता है।
  7. आत्मजागरूकता और भक्ति: भस्म आरती के द्वारा भक्त अपने आत्मा की ऊँचाइयों को छूने का प्रयास करते हैं और आत्मजागरूकता की प्राप्ति के लिए शिव की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

भस्म आरती भगवान शिव की पूजा में एक महत्वपूर्ण प्रथा है जो भक्तों को आत्मा की पवित्रता और अनंत शक्ति की अनुभूति का मार्गदर्शन करती है। यह पूजा भक्तों को कार्यों में उत्साही बनाए रखने, आत्मजागरूकता का साधन करने, और शिव के साथ समर्थ बनने के लिए प्रेरित करती है। भस्म आरती का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अद्भुत है और यह भक्तों को आध्यात्मिक और मानवीय सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

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